सच्चे भाव के बिना प्रभु नहीं मिलते- आचार्य सोनू शास्त्री


दिबियापुर औरैया
जिले के दिबियापुर नगर के समीप कंचौसी मोड़ के सटे गांव लुखरपुरा में भागवत के अंतिम दिन में भागवत के अंतिम दिन सुदामा चरित्र में भगवान कृष्ण और सुदामा की दोस्ती का वर्णन बड़े अच्छे से आचार्य स्वामी शास्त्री ने बताया द्वारका युग में जिस तरह से दोस्ती का एक नया आयाम दिया है जो अपने सगे भाइयों से भी अच्छी भूमिका निभाता है क्योंकि जिस तरह से सुदामा ने दोस्ती के नाम पर छल कपट किया उसी के अंतर्गत भगवान कृष्ण ने सुदामा को गरीबी में रहने का श्राप दे दिया है सुदामा को गरीबों का बहुत सामना करना पड़ा जिसके लिए वह एक-एक दाने को तरस गया शास्त्रों में कहा गया है *गुरू से कपट मित्र से चोरी या निर्धन या कोड़ी*
लेकिन कहां यह भी जाता है यदि भगवान बिगड़ता है तो एक दिन सुधा रता भी है और भगवान के यहाँ देर है लेकिन अंधेर नहीं है. लेकिन भगवान को अगर प्राप्त करना तो सच्ची श्रद्धा एवं विश्वास के साथ ही उनको प्राप्त किया जाता है तभी इंसान का इस माया रूपी दुनिया से उद्धार होगा.